काव्य पल्लव

जीवन के आपाधापी से कुछ समय निकाल कर कल्पना के मुक्त आकाश में विचरण करते हुए कुछ क्षण समर्पित काव्य संसार को। यहाँ पढें प्रसिद्ध हिन्दी काव्य रचनाऐं एवं साथ में हम नव रचनाकारों का कुछ टूटा-फूटा प्रयास भी।
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Monday 30 April 2012

यदि मैं कवि होता


यदि मैं कवि होता
तो लिख पाता
उन अनुभूतियों को
जो हृदय को छू
मन मस्तिष्क में
विचारों का बवंडर उठाती हैं।

यदि मैं कवि होता
तो लिख पाता
उस बच्चे के जीवन संघर्ष को
जिसके बालपन को
ईंट की चिमनीयों में झोंक दिया गया।

यदि मैं कवि होता
तो लिख पाता
उस लड़की की वेदना को
जिसे कई बार नाप-तौल कर
सरे बाजार बेच दिया गया।

यदि मैं कवि होता
तो लिख पाता
उन दबे कुचलों के दर्द को
जो ढूँढ़ते हैं
कूड़े-कचरों में अपनी आजीविका को।

यदि मैं कवि होता
तो लिख पाता
उस माँ की व्यथा को
जो प्रसव पीड़ा से भी गहरी थी
दिया था उसके अपने ही जाये ने।

यदि मैं कवि होता
तो लिख पाता
उन कहे अनकहे सम्बंधों को
जो समय के साथ
हासिए पर धकेल दिए गए।

अच्छा है, मैं कवि नहीं हूँ
क्यूँकि अगर कवि होता
तो वेदना परोसता
और इस सम्वेदनहीन संसार में
वेदना का भला क्या काम।

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