गहन तिमिर है, पंख पसारे !
गहन नीरवता, ह्रदय हमारे !!
आस क्षीण है, करूण वेदना !
तरुण ह्रदय, दृग में जलधारे !!
गहन तिमिर है... !!
धरती पर हैं, गीत अमा के !
तारों की बारात, गगन में !
ह्रदय विवश, व्याकुल है अंतस,
कठिन द्वंद है, अंतर्मन में !
आँखें थकी, आस कुम्हलाये,
प्रभा किरण की, पंथ निहारे !
गहन तिमिर है ... !!
अकथ व्यथा से, कम्पित अलकें,
पीड़ा से हैं, भींगी पलकें !
पर विश्वास, नयन में झलकें !
आयेंगे ! निश्चय आयेंगे !!
चिर प्रतीक्षित, दिन उजियारे !!
गहन तिमिर है ... !!
- करण समस्तीपुरी
6 comments:
आपकी चिर परिचित शैली और वही "न दैन्यं न पलायनम्" वाली बात।
पर विश्वास, नयन में झलकें!
आयेंगे! निश्चय आयेंगे!!
चिर प्रतीक्षित, दिन उजियारे!!
गहन तिमिर है ... !!
सुन्दर प्रस्तुति।
सप्रेम।
अकथ व्यथा से, कम्पित अलकें,
पीड़ा से हैं, भींगी पलकें !
पर विश्वास, नयन में झलकें !
आयेंगे ! निश्चय आयेंगे !!
चिर प्रतीक्षित, दिन उजियारे !!
गहन तिमिर है ... !!
करण जी जरुर आयेगें दिन उजियारे ....उम्मीद ही तो जीवन है .....छंदबद्ध सुंदर रचना .....!!
ye word verification hta lein ....!!
आयेंगे ! निश्चय आयेंगे !!
चिर प्रतीक्षित, दिन उजियारे !!
गहन तिमिर है ... !!
उजियारे jarur aate hai bus sahanshakit ki baat hai ...
Bahut achhi rachna
Badhai
अकथ व्यथा से, कम्पित अलकें,
पीड़ा से हैं, भींगी पलकें !
पर विश्वास, नयन में झलकें !
आयेंगे ! निश्चय आयेंगे !!
चिर प्रतीक्षित, दिन उजियारे !!
गहन तिमिर है ... !!
bahut hi sundar rachna likhi hai aapne .sanket liye ujaale ka ,umda
बहुत भाव भीनी कविता मन को भिगो गयी. अगर समय मिले तो मेरी कविता " पुनर्जनम " जरुर पढ़ें आपकी रचना जैसी तो नहीं पर हाँ उसके आस पास तो है और हाँ नयी पोस्ट "मेरा मन" भी पढ़ें
नववर्ष पर हार्दिक बधाई आप व आपके परिवार की सुख और समृद्धि की कमाना के साथ
सादर रचना दिक्षित
bahut sundar rachana hai..........gurdev tagore ji ki kavita ki shaili dikh gayee....word varification hataa dijiye
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