जिन्दगी यूँ ही छूटती जाती है,
जैसे बन्द मुठ्ठी से रेत,
जैसे निकले हों किसी सफर पर,
और छूटते जाए बाग, बगीचे, खेत,
हर दिन छूट रहा है,
जैसे तितली के खुशनुमा रंग हाथ में,
हर दिन देता है नया रंग जिन्दगी का,
कुछ खुशीयाँ, कुछ गम साथ में,
हो हर पल जैसे कोई नया नगमा,
देखे जैसे हर क्षण कोई नया सपना,
जिन्दगी कुछ सिखाती है हमें,
जिन्दगी कुछ बताती है हमें,
फिर क्यूँ है ऐसा,
इतना कुछ होते हुए भी,
लगता है कुछ अधूरा सा,
कुछ है जो हम जानकर भी नहीं जान पाते,
कुछ है जो हम समझ नहीं पाते,
हमेशा इंतजार सा रहता है,
सवालों का जैसे दरिया सा बहता रहता है,
हर बार मैं इस “कुछ” पर आकर अटक जाती हूँ,
सवालों के जवाब ढूँढते-ढूँढते भटक जाती हूँ,
ये दिल हमेशा खाली-खाली सा लगता है,
जैसे कुछ मिलना बाकी हो,
बस अब तो एक जाम हो प्यार का,
और पिलाने वाला जीवन का साकी हो।
जैसे बन्द मुठ्ठी से रेत,
जैसे निकले हों किसी सफर पर,
और छूटते जाए बाग, बगीचे, खेत,
हर दिन छूट रहा है,
जैसे तितली के खुशनुमा रंग हाथ में,
हर दिन देता है नया रंग जिन्दगी का,
कुछ खुशीयाँ, कुछ गम साथ में,
हो हर पल जैसे कोई नया नगमा,
देखे जैसे हर क्षण कोई नया सपना,
जिन्दगी कुछ सिखाती है हमें,
जिन्दगी कुछ बताती है हमें,
फिर क्यूँ है ऐसा,
इतना कुछ होते हुए भी,
लगता है कुछ अधूरा सा,
कुछ है जो हम जानकर भी नहीं जान पाते,
कुछ है जो हम समझ नहीं पाते,
हमेशा इंतजार सा रहता है,
सवालों का जैसे दरिया सा बहता रहता है,
हर बार मैं इस “कुछ” पर आकर अटक जाती हूँ,
सवालों के जवाब ढूँढते-ढूँढते भटक जाती हूँ,
ये दिल हमेशा खाली-खाली सा लगता है,
जैसे कुछ मिलना बाकी हो,
बस अब तो एक जाम हो प्यार का,
और पिलाने वाला जीवन का साकी हो।
5 comments:
मन में प्रायः होने वाले अंतर्द्वन्द की सुन्दर प्रस्तुति। सस्नेह-
कुन्दन
सरल शब्द और उन्मुक्त छंद में जिंदगी की पहेली का सुघर चित्रण ! दर्शन सूक्ष्म और सहज ! किंतु विराम चिन्हों के अव्यवस्थित प्रयोग से रचना का प्रवाह बाधित !
ये दिल हमेशा खाली-खाली सा लगता है,
जैसे कुछ मिलना बाकी हो,
बस अब तो एक जाम हो प्यार का,
और पिलाने वाला जीवन का साकी हो।
इस तरह की पंक्तियों के उपयोग में सावधानी आवश्यक अन्यथा कविता की गरिमा धूमिल हो सकती है !
Hello
Wese lagta hai, kafi samay go gaya apko kavita likhe hue, pichle saal ke baad koi bhi updation apne nahi ki. Chaliye, shikayatain apart, bahut acchhi kavita hai, ummeed karta hoon, likkti rahaingi,
Samay maile to mere blog par bhi jaroor ayain
Prabhatsardwal@blogspot.com
रचना बडीही सुंदर है।
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